गुरुवार, 7 अगस्त 2014

आतंकवाद के नये पैरोकार हैं ये बौद्धिक जेहादी

विजय कुमार नड्डा
पीछले दिनों दैनिक जागरण में छपा वरिष्ठ पत्रकार श्री कुलदीप नैयर का लेख ‘आतंकवाद का नया खतरा’ उनकी हिन्दुत्व विरोधी मानसिकता का परिचायक है। वर्तमान लेख पर चर्चा करने से पहले अगर हम श्री नैयर का लेखन इतिहास देखेंगे तो तस्वीर स्वयं साफ हो जाएगी । मुस्लिमपरस्ती, हिन्दुद्वेष और प्रकारान्तर से देश विरोधी तत्वों का समर्थन और सहयोग यह इनके लेखन की खासियत है । वास्तव में इन्हीं कुर्सीपरस्त राजनेताओं एवम् बुद्धि के आधार पर जीविका चलाने वाले कथित बुद्धिजीवियों के कारण मुसलमान इस देश की मिटटी से जुड़ नहीं पा रहा है । मुस्लिम अलगाववाद के लिए मुसलमानों से ज्यादा ये लोग ही जिम्मेवार हैं । अंग्रेज 1857 में हिन्दु-मुसलमानों के एक साथ व्रिटिश सत्ता के विरुद्ध मैदान में डट जाने से बौखला गया था। उसने लम्बी नीति के अन्तर्गत आइ.सी.एस. अधिकारी मिस्टर हेग को मुसलमानों को इस देश की मुख्य धारा से काटने की योजना पर लगाया। इस धूर्त अंग्रेज अफसर ने अपने एक मित्र साधारण पटवारी सैयद अहमद को पकड़ा। धीरे धीरे उसे ‘सर’ की उपाधि दिला कर सर सैयद अहमद बनाया और मुसलमानों में नेता के नाते खड़ा कर दिया। इसी नेतृत्व ने आगे चल कर अंगेज की सहायता एवम् तात्कालीन कांगेस नेतृत्व की कुर्सी की भूख का लाभ उठा कर देश का बंटवारा करा दिया। श्री नैयर जैसे कथित बुद्धिजीवी जाने-अनजाने उस हेग का अधूरा कार्य एक और विभाजन की ओर देश को ले जाने में सहयोग कर पूरा कर रहें हैं । अजीविका के लिए बुद्धि का सौदा करने वाले ये बौद्धिक सिपाही सच्चाई से ऐसे बिदकते हैं हैं जेैसे लाल कपड़े को देख कर सांड बिदकता है । ठीक भी है सच्चाई इन्हें राजनैतिक संरक्षण , प्लाट और बड़ी राशि तो नहीं दिला सकती । आज देश के हित में बोलना ,आतंकवाद से जूझते अपने सैनिकों के अधिकारों की पैरवी करना साम्प्रदायक है और देश के विरोध में कार्य करने वाले आतंकवादियों, श्री विनायक सेन जैसे उनके सहायकों के हितों के लिए लड़़ना , पाक मूल के अमेरीकी नागरिक हेडली द्वारा आतंकवादी बताई जा चुकी इशरतजहां के लिए लड़ना प्रगतिशील बना दिया गया है। श्री कुलदीप नैयर हिन्दु विरोधी वामपंथी बिरादरी के शिखर लोगों में हैं जो देश विरोधियों के स्वर में स्वर मिला कर स्वयं को धन्य मानते हैं । वकौल श्री नैयर प्रधानमन्त्री और गृहमन्त्री ने हिन्दु आतंकवाद को देश के लिए गम्भीर खतरा माना है। चलो अच्छा है इसी बहाने हमारे राजनेताओं ने आतंकवाद को देश की सुरक्षा के लिए आखिर खतरा तो माना! लेकिन प्रश्न है कि क्या यह चिंता केवल काल्पनिक हिन्दु आतंकवाद तक ही सीमित रहेगी या सम्पूर्ण आतंकवाद के लिए सरकार इतने ही उत्साह से आगे बढ़ेगी? अभी तक तो ये लोग अफजल गुरु और अजमल कसाब की पैरवी करते नहीं थक रहे हैं। श्री नैयर ने अपनी बात अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के उपकुलपति की हिन्दु आतंकवादियों की धमकी के कारण सुरक्षा की मांग से की है । कौन नहीं जानता की ये महाश्य किसकी बोली बोेल रहे हैं । इसी प्रकार प्रधानमन्त्री और गृहमन्त्री का ब्यान कि भगवा आतंकवाद एक सच्चाई है । वाह !ये ऐसे इतरा रहे हैं जैसे बहुत बड़ी खोज कर ली हो! देश जानना चाह रहा है इन नैयर जैस बुद्धिजीवियों व वोट के लिए देश हितों से खेलने वाले राजनेताओं से कि क्या वे संसद पर हमला करने वालों या 26/11 के मुम्बई के हमलावरों के आतंक का रंग बता सकते हैं ? तब तो इनकी घिग्गी बंघ जाती है । यहां तो ये कहते फिरते हैं कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, कोई धर्म नहीं होता है। 100 करोड़ से अधिक हिन्दुओं में आठ-दस अगर हिंसा के मार्ग पर बढ़ भी गए हालांकि अभी यह सिद्ध भी नहीं हो पाया है, तो भी क्या इसे हिन्दु या भगवा आतंकवाद कहना उचित है? जिन स्वामी असीमानन्द के कथित कबूलनामे की बात जोर-शोर से की जा रही है कौन जानता है कि स्वामी जी ने क्या कबूल किया है? और किन यातनाओं व यन्त्रणाओं के कारण किया है? हमारे ये कुर्सीपरस्त राजनेता और उनके इशारों पर नाचने वाले ये कथित बुद्धिजीवि ऐसे नाच रहे हैं मानों उन्होंने कोई बहुत बड़ा मैदान मार लिया हो। अभी इन्हें समझना चाहिए कि अभी इनकी खुशी प्रसव से पहले ही बेटे की खुशी मे झूम उठने जैसी हैं । फिर अभी जिस केस की जांच चल रही है उस पर टिप्पणी ही नही बल्कि निर्णय करते घूमना कहां का न्याय है? अगर यही सब करना है तो फिर जांच की क्या आवष्यकता है? वैसे ही स्वामी असीमानन्द और साध्वी प्रज्ञा को फांसी दे दो । यहां यह रोचक है कि न्यायालय से देशद्रोह सजा प्राप्त विनायक सेन का समर्थन और अभी जांचाधीन स्वामी असीमानन्द जी को आतंकवादी ठहरा कर पूरे संघ को बदनाम करने का ये बौद्धिक जेहादी बेशर्मी से अभियान चला रहे हैं।
जहां तक संघ की बात है तो क्या श्री नैयर अभी -अभी मुम्बई में सहारा उर्दू के सम्पादक श्री अजीज बर्नी के माफी नामे को भूल गए हैं? क्या देशभक्ति का प्रमाणपत्र संघ को इन आतंकवादिओं के पैरोकारों से लेना पड़ेगा? क्या श्री नैयर बताएंगे कि देश के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन में मुसलमान गुण्डों से हिन्दुओं को कौन बचा कर लाया था? जम्मू -कश्मीर के महाराजा हरिसिंह  को जम्मू कशमीर रियासत को भारत में विलय के लिए किसने तैयार किया था? पाक के अचानक कशमीर पर हमला कर देने पर सीमा पर जा कर सैनिकों की सहायता और पाक की सीमा में सेना की गलती से गिर गई बारुद की पेटियों को अपने जीवन की कीमत पर किसने अपनी सीमा में लाया था? भारत की पहली संसद को बम से उड़ा कर आजादी का सारा खेल खत्म कर पूरे देश पर कब्जा करने के लीगी षड़यन्त्र की समय रहते जानकारी दिल्ली किसने दी थी? लीगी गुण्डों से अमृतसर में श्री हरमन्दिर साहिव को किसने बचाया था? चीन के 1962 के हमले और पाक के 1965 या 1971 के हमलो में सेना के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर कौन चला था ? गणतंतत्र की 1963 की परेड में संघ की सेवाओं से प्रभावित होकर संघ को किसने शामिल किया था ? देश के उपर आई प्राकृतिक आपदाओं में प्रशासन से भी पहले कौन पहुंचता है? आज वनवासी क्षेत्रों और देश के झुग्गी झोपडियों में बन्धुओं के विकास के लिए डेढ लाख से अधिक सेवा के कार्य कौन चला रहा है? सउदी अरब के दो जहाजों की टक्कर में पीडि़त यात्रियों जिनमें अधिकांश मुसलमान ही थे उनकी सेवा और सहायता के लिए कौन आगे आया था? आदि संघ के सेवा कार्यों की सूची बहुत लम्बी है । संघ के दर्शन के विरुद्ध लम्बी लड़ाई का श्री नैयर का आहवान उनकी संघ को लेकर अज्ञानता है , पूर्वागृह है या उन जैसे हजारों तथाथित बौद्धिक महारथियों के विरोद्ध के बाबजूद संघ की प्रगति को ले कर उनकी हताशा है या देखने की बात है।  इतिहास गवाह है कि अल्पसंख्यकों और गरीबों के लिए बड़े बड़े आंसू बहाने वाले सेवा के मोर्च पर हमेशा फिसड्डी ही रहे हैं। अब अल्पसंख्यक समाज भी यह सब जानने लगा है। मुसिलम बहुल इलाकों में बिहार और गुजरात में भा.ज.पा. का जीतना भी इन लोगों की नींद हराम किए है । आज आवश्यकता हैे कि देश इन बौद्धिक जेहादियों के खतरे के प्रति सजग व् सतर्क हो ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें