गुरुवार, 7 अगस्त 2014

लव जेहाद के संकट से जूझता भारत

मेरठ में एक मदरसा में पढाने वाली युवा हिन्दू लडकी से गेंग रेप और धर्म परिवर्तन ने देश में नये संकट की आमद का संकेत दिया है। यह संकट अकेला महिलाओं पर नहीं है बल्कि समय पर न जगने के दुष्परिणाम पूरे देश को भुगतने पड़ेंगे। यह 'लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई' जैसी स्थिति है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि यह कोई अकेली दुर्घटना नहीं है बल्कि पूरे देश में लव जिहाद के नाम से हिन्दू लडकियों को फंसाने और धर्म परिवर्तन करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। कुछ साल पहले केरल हाई कोर्ट ने इस विषय पर चिंता प्रकट  कर सरकार को सख्त कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। लव जिहाद हमारी लडकियों पर होने वाले आक्रमण  का प्रकार थोडा अलग है। इसमें शत्रु इतने छुपे ढंग से हमला करता है कि इस सबसे बेखबर शिकार स्वयं चल कर शिकारी की बाँहों में चला जाता है। यहाँ बात केवल इज्जत तक सीमित नहीं रहती बल्कि धर्म और जान तक गवानी पडती है।  इस संकट का नाम है लव जिहाद। वैसे तो कोई भी बलात्कार या यौन अत्याचार महिला के लिए एक प्रकार जीते जी मरने जैसा ही होता है। तो भी लव जिहाद में महिला को हर रोज मरना पड़ता है। एक बार इस अँधेरी गुफा में गयी तो फिर वापिस किस्मत ही साथ दे दे तो अलग बात है अन्यथा बेचारी के जीवन भर के दुःख और कष्ट ही स्थाई साथी बन जाते हैं। क्या है यह लव जिहाद? आइये! थोडा गहराई से विचार करने की कोशिश करते हैं।
जनसांख्यिक हमला है लव जिहाद- लव जिहाद इस्लामिक संस्थाओं द्वारा भारत के उपर थोंपा गया एक जनसांख्यिक आक्रमण है। लव जिहाद की गम्भीरता को समझने के लिए लोकतंत्र में जनसंख्या के महत्व को समझना आवश्यक है। दुनिया में इस्लाम और ईसाई अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। इसके लिए ईसाई बड़े स्तर पर धर्मान्तरण तथा इस्लाम अधिक शादी -अधिक बच्चे की नीति व् बड़े स्तर पर घुस पैठ अपनाते हैं। हिन्दू जहाँ जनसंख्या को लेकर अत्यंन्त लापरवाह है वहीं ये समाज इस विषय पर उतने ही गम्भीर हैं। इसी गम्भीरता के कारण मात्र दो हजार साल पहले चला ईसाई आज  सारी दुनिया में छाया हुआ है। डेढ सौ से ज्यादा देश ईसाई देश बन चुके हैं। इसी प्रकार डेढ हजार पहले अरब से चला इस्लाम आज लगभग 50 से देशों पर काबिज हो चुका है। इसके विपरीत कभी पूरी दुनिया में छाने वाले हम आज केवल एक देश भारत में बाघा बोर्डर पर आकर सिमिट गये हैं। इस फैलाव और सिकुडन में अन्य अनेक कारणों में एक बड़ा कारण जनसंख्या भी है। आज इस प्रकार की चर्चा को छोटी सोच कह कर नकार दिया जाता है। सेक्ल्युर लोगों की त्योरियां तो चढती ही हैं हिन्दू भी इस चर्चा को बेकार समझ कर महत्व नहीं देते हैं। लेकिन जनसंख्या का महत्व  दुनिया में नकारा नहीं जा सकता है लोकतंत्र में जहाँ सिर गिने जाते हैं वहाँ जिसके पास जितने वोट वह उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राय: सभी राजनैतिक दलों में मुस्लिमों के प्रति उमड़ने वाले प्रेम का एकमात्र कारण इनका एकसाथ पड़ने वाले मत ही तो हैं। इस समय लोकसभा की 100 से ज्यादा सीटें ऐसी हो चुकी हैं जिनका निर्णय मस्जिद से होता है। मुस्लिम योजना अंग्रेज के आने पर खोई अपनी मुगल सल्तनत को जनसँख्या बल पर पुन: प्राप्त करने की है। मुसलमानों की जनसंख्या बढाओ नीति 'हींग लगे न फटकरी रंग चोखा' वाली है। इसके परिणामस्वरूप खून का एक कतरा बहाए बिना सत्ता प्राप्त करने की है। आज बहुत लोगों को यह मात्र कल्पना की उड़ान लगती है लेकिन जनसंख्या विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र बजाज की माने तो अगर इसी गति से मुस्लिम जनसंख्या बढती रही तो आने वाले 50 साल में हिन्दू इस देश में अल्पसंख्यक हो जायेगा। फिर किसी चुनाव् में हम स्वयं अपने हाथों दिल्ली मुसलमानों को सौंप कर भारत को पाकिस्तान की तरह इस्लामिक देश बना लेंगे।
लव जिहाद अर्थात मौज मस्ती भी और धर्म की सेवा भी-
मुसलमान समाज ने युवा अवस्था और मानसिकता का भरपूर फायदा उठाने का बीड़ा उठाया है। किसी युवा के दिमाग में यह बात बैठा दी जाये कि जो युवा काफिरों की जितनी लडकियों को भगा कर लायेगा वह जन्नत में उतना ही ऊँचा स्थान पायेगा फिर परिणाम का अंदाज लगाना कठिन नहीं है। केवल प्रेरणा ही नहीं तो इस्लामिक संस्थाओं द्वारा अपने युवकों को प्रोत्साहित करने के लिए सब प्रकार की सुवाधाओं के अलावा पुरस्कार भी दिए जाते हैं। आपको हैरानी होगी कि इस 21 वीं सदी में भी बाकायदा ब्राह्मण, राजपूत वैश्य और सिख लडकियों को भगा कर लाने के अलग-2 रेट हैं। इसके अलावा जब कोई मुसलमान किसी लडकी को भगा कर ले जाता है तो उसकी सुरक्षा, कोर्ट में बकील, उसकी फीस आदि की सारी व्यवस्था की जाती है। मुस्लिम समाज में उसे जीत के रूप में लिया जाता है।
कैसे अंजाम देते हैं लव जिहाद को-
मुस्लिम युवा योजनाबद्ध ढंग से किसी कुशल शिकारी की तरह हिन्दू लडकियों की घात में रहते हैं। लडकियों के कालेज, कोचिंग सेंटर तथा लेडीस दर्जी, सुनार तथा ब्यूटी पार्लर के आस पास ये झुण्ड में रहते हैं। मुस्लिमो के प्रति हिन्दू लडकियों के मन में शंका व् संकोंच से बचने के लिए ये लडके हिन्दू नाम से अपना परिचय देते हैं। लडकी पर अपना रोब बनाने के लिए सजधज कर अच्छी बाईक या कार आदि दिखा कर प्यार का ढोंग करते हैं। आधुनिकता के नाम पर हिन्दू समाज में आए खुलेपन का भी उन्हें खूब लाभ मिलता है। जैसे कैसे ये लडकी का विश्वास जीत कर उससे शारीरिक सम्बद्ध बना लेते हैं। एक बार इसमें सफल होते ही मानों उन्होंने आधे से ज्यादा मैदान जीत लिया। हमारी भोली भाली हिन्दू लडकी तो उस लडके को अपना सब कुछ मान कर उस पर कुछ न्योछावर कर रंगीन हसीन स्वप्नों में खो जाती है। वह प्यार में इतनी अंधी हो जाती है कि लडके से शारीरिक सम्बद्ध बनाने से पहले  उसके बारे में आवश्यक जानकारी जुटाने की जरूरत भी नहीं समझती। इस मामले में घर परिवार, किसी की भी वो नहीं सुनती।
क्या होता है लडकी के साथ--
- इधर लडकी शादी का इंतजार कर रही होती है उधर उसके लिए दिल दहला देने वाला अंधकारमय भविष्य इंतजार कर रहा होता है।  मौजमस्ती करने के बाद लड़का उसे घर से भागने के लिए तैयार कर लेता है। जैसे ही लडकी घर से बहर कदम रखती है मानों किस्मत उससे रूठ जाती है। लड़का उसे सीधे मस्जिद या अपने किसी दोस्त के पास ले जाता है। और यहीं से उसके साथ अन्याय और अत्याचार की दास्ताँ शुरू हो जाती है। पहले उसे धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जाता है। फिर उसकी इस्लामिक पद्धति से शादी हो जाती है। इससे भी बड़ा झटका उसे तब लगता है जब पता लगता है कि उसके स्वप्नों का राजकुमार तो पहले से ही तीन चार ओरतें लिए बैठा है। लेकिन अब सिवाए चीखने चिल्लाने के और कर भी क्या सकती है? लेकिन यहीं उसका भविष्य नहीं रुकता थोड़े ही दिनों में जैसे लडके का उससे मन भर जाता है वह या उसे किसी को बेच देता है या उसे वैश्यावृति के धंधे में उतार दिया जाता है। उसे बाकि समाज से काट दिया जाता है। इनकी सुरक्षा इतनी चाक चौबंद होती है कि पढ़ी लिखी आधुनिक लडकी भी असहाय हो कर सब कुछ सहन करती रहती है। वापिस घर आने का उत्साह इसलिए भी नहीं बचता कि घर, परिवार और समाज भी स्वीकार नहीं करता। उसे उसकी मासूमियत, नादानी या जवानी के पहले प्यार की इतनी सजा मिल जाएगी ऐसा उस बेचारी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा होता।
कितना खतरनाक है लव जिहाद-
लव जिहाद एक मुस्लिम युवक द्वारा हिन्दू लडकी को भागने का मामला मात्र नहीं है। यह हिन्दू समाज पर योजनाबद्ध हमला है। आक्रमण का प्रकार कुछ ऐसा है कि प्रथम द्र्ष्टया कोई गम्भीर विषय नहीं लगता। हिन्दू की इसी सोच का लाभ ये शरारती तत्व उठाते हैं। मुस्लिम सोच के अनुसार औरत खेत की तरह होती है । इसमें जितनी फसल उगा सकते हो उतनी उगा लेनी चाहिए। फिर इनमे हिन्दू की तरह पत्नी को लेकर बहुत गंभीरता भी नहीं होती। जब मर्जी पुरानी को तलाक देकर नई ले आते हैं। जो जितने बच्चे पैदा करता है उसे उतना ही मान सम्मान दिया जाता। बच्चे पैदा करना भी इस्लाम की सेवा मानी जाती है। हिन्दू लापरवाही से पूछता है कि इससे फर्क क्या पड़ता है? आइये! आंकड़ों की भाषा में बात करें कि क्या फर्क पड़ता है? एक लडकी मुसलमान बनती है तो वह कम से कम चार बच्चे पैदा करेगी। इस प्रकार एक हिन्दू लडकी जाने से आठ हिन्दुओं का नुकसान होता है। अगर ये 3 बच्चे पैदा करें तो 24 और पचीस साल में 72  और सौ साल में 432 हिन्दू कम होते हैं। इसी प्रकार अगर ये हिन्दू लडकी रहती तो 512 हिंदों में वृद्धि होती। कुल मिला कर एक हिन्दू लडकी भगा कर बिना रक्त बहाए 944  हिन्दू कम हो करने में कामयाब हो गये। इन्टर नेट के आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष एक लाख हिन्दू लडकियाँ मुस्लिमों के साथ भागती हैं। इस हिसाब से 944×100000= 9 करोड़ चालीस लाख। अगर इनमे 40 लाख को कम भी कर लें तो भी 9 करोड़ का सीधा नुकसान हिन्दू समाज को! अगर यह सब आने वाले बीस सालों तक ऐसे ही चला तो हिन्दू समाज इतिहास की वस्तु बन कर रह जाएगी। जो हिन्दू 1000 साल के इस्लामी संघर्ष और लगभग 200 सालों तक अंग्रेजों से जूझने के बाबजूद आज भी 80 करोड़ बचा है वही समाज 20 सालों में बिलुप्ती के कगार पर आ जायेगा।
क्या हो समाधान- सबसे बड़ा कार्य तो सावधानी ही है। कहते भी हैं न- सावधानी हटी दुर्घटना घटी। क्यूंकि मुस्लिम युवक गिरोह बना कर हिन्दू लडकियों के शिकार में तैयार रहते हैं इसलिए थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा हो सकती। दूसरा महत्वपूर्ण उपाय अपनी लडकियों को अपने श्रेष्ठ संस्कारों से ओतप्रोत करना। आज के खुले वातावरण में जब बच्चों पर कोई नियन्त्रण नही रह पाता ऐसे में ये संस्कार ही लड़की की सुरक्षा कर पाएंगे। बच्चों से दोस्ताना खुली बातचीत जरूरी है ताकि वह अपने मन की बात खुल के घर वालों से साँझा करती रहे। अगर लडकी का कोई योग्य हिन्दू प्रेमी है तो सम्मानजनक ढंग से उससे शादी करवा देनी चाहिए। किसी मुस्लिम लडके से सम्बद्ध का समय पर पता लग जाने पर हजार उपाय हो सकते हैं लेकिन सब कुछ हो जाने पर लकीर पीटने के सिवाय कुछ नहीं हो पाता। लडकियों को इस्लाम की पूरी कल्पना देनी चाहिए। इस्लाम में महिलाओं की स्थिति क्या है, वहाँ सौतन से सामना करना ही पड़ता है ऐसी सारी बातें खुल कर बतानी चाहिए। आज बोलीबुड में खान हीरों को देख कर लडकियाँ सोचती हैं ही सारे मुस्लिम युवा भी ऐसे ही प्रेमी होते हैं। वास्तव में फिल्म इंडस्ट्री में मुसलमान हीरो और नायिका हिन्दू योजना से रखी जाती हैं। हर हिन्दू लडकी नायिका में स्वयं को रख कर अपने प्रेमी को हीरो मानकर अपने भावी जीवन की योजना बना लेती है। इस बीच अगर अपनी लडकी के साथ कोई घटना घट ही जाये तो तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। किसी प्रकार की देरी लडकी के लिए जानलेवा हो सकती है। दूसरी बड़ी मनोवैज्ञानिक तैयारी हिन्दू समाज को करनी होगी वह है चली गयी लडकी को पूरी सहानुभूति पूर्वक वापिस लेना। यह बात आज थोड़ी अटपटी लग सकती है लेकिन समय की मांग है कि हिन्दू भी अपनी अबादी बढ़ाने को राष्ट्रीय कर्तव्य के नाते लें। कम से कम तीन-चार बच्चे हर हिन्दू के होने चाहिए। इसके साथ ही आज हिन्दू युवकों को इस संकट से निपटने के लिए मुस्लिम लडकियों से दोस्ती कर उनसे शादी  करने का अभियान चलाना चाहिए। हिन्दू संस्थाओं को ऐसे युवकों के साथ खड़े होना चाहिए। इससे दोयम दर्जे का जीवन जी रही मुस्लिम लड़कियों का कल्याण ही होगा। वे भी बेचारी खुली हवा में साँस ले पाएंगी। इस प्रकार आम के आम और गुठलियों के दाम वाली स्थिति हो सकती है। कहते हैं न कि आक्रमण ही बचाव का बढिया तरीका होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें