शनिवार, 29 अगस्त 2015

जनता तू कितनी नादान है!

वाह रे! वाह रे ! जनता मेरे भारत महान की
क्या तारीफ करें तेरी समझ और ज्ञान की?
तू चुपचाप सहती रही असंख्य जख्म !
ढ़ोती रही इतिहास का दर्द सीने में,
खून के आंसू रोती रही चुपचाप
उस समय तो तू बेबश थी लेकिन
आज जब समय ने करवट बदली,
दिल्ली से मिटी निशानी उस अत्याचारी ओरंगजेब की!
फिर तू चुप क्यों है भला?
कहीं कोई जश्न नहीं, कोई उत्सव नहीं
मेरे भारत महान की जनता!
तू स्थित प्रज्ञा कब से हो गयी हो!
महिमा क्या गाएं इतिहास की चीख न सुन
बहरे हुए तेरे आँख, नाक और कान की!
क्या तारीफ करें......
अपने व्यक्तिगत दर्द पर बिलबिलाने वाली,
अधिकार?  छीनने के लिए गुर्राने वाली
किसी भी हद तक जाने वाली मेरी
भोली जनता तू और कितनी बार ठगी जायेगी?
किसी केजरीवाल और हार्दिक के झांसे में आकर अपनी सम्पति स्वाहा: कर,
घर फूंक तमाशा देखने की तेरी यह आदत
क्या जीभ के लिए दांत उखाड़ फैंकने की मूर्खतापूर्ण जिद नहीं है?
दांत और जीभ दोनों अपने हैं कब समझेगी तू?
पार्टी, व्यक्ति से मतभेद ठीक है लेकिन
देश और समाज ने तेरा क्या बिगाड़ा ?
जो तू आए दिन किसी के उकसावे में आकर करोड़ों का नुकसान कर लेती है
और अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार लेती है!
तू कब समझेगी, कब बाज आएगी तू ?
तेरी ऐसी समझ के चलते दुश्मन की क्या जरूरत
जो तू खुद ही दुश्मन जो बन बैठीअपनी इज्जत और जान की 

क्या तारीफ करें तेरी समझ और ज्ञान की....

कब लालू, नितीश, मुलायम और मोदी में अंतर करना सीखेगी? 

तू कब समझेगी कि

लालू , नितीश,  मुलायम, मायावती को तू नहीं तेरे वोट प्यारे हैं इसलिए ये नादान!
ये सत्ता के पुजारी तेरी खूब प्रशंसा करते होंगे
तेरे लिए चाँद लाने की कसमें उठाते होंगे                             किन क्या तू जानती है? 

इनकी चापलूसी उस चालाक मर्द जैसी है

जिसकी नजर औरत के गुणों पर नहीं बल्कि उसके जवान जिश्म पर होती है
और वो भोली उस पर लटू होती जाती है
जब होश आता है तब तक देर बहुत हो चुकी होती है! वो बेचारी लुट चुकी होती है!
मोदी तेरे लिए मीठा नहीं बोलते होंगे! लेकिन एक योग्य डॉक्टर की तरह वे मरीज को खुश करने के लिए नहीं
बल्कि उसे ठीक करने के लिए सच्चाई बोलते हैं, काम करते हैं
कहते हैं न कि राजा जनता को, सचिव राजा को, वैद मरीज को और गुरु शिष्य को खुश करने के लिए अगर सच बोलना छोड़ दें
तो विनाश निश्चित होता है
अब निर्णय तूने करना है कि तुझे उस नादाँ औरत की तरह लुटना है या रक्षा करनी है अपनी इज्जत और जान की!
तेरे निर्णय से ही तारीफ हो सकेगी तेरी समझ और ज्ञान की
वाह ! वाह रे ! जनता मेरे भारत महान की!!!

शुक्रवार, 7 अगस्त 2015