दो साल पुराना लेख
देखें राज हठ में स्वामी रामदेव जी का बहुमूल्य जीवन भेंट न चढ़ जाए
स्त्री हठ,बाल हठ ,राजहठ और संत हठ ये सब अपनी-अपनी जिद के लिए प्रसिद्ध हैं । इनमें से जहां संत हठ में समाज हित निहित रहता है वहीं राज हठ में राजा अपने अहंकार की पूर्ति के लिए समाज हित की बलि चढ़ाता आया है। हमारे देश का इतिहास संत और सत्ता के अनेक संघर्षों का गवाह है। वैसे हमारे देश में इस खींचतान मे हमेशा संत की ही जीत हुई है। इसके विपरीत जब कभी राजा विजयी हुआ तो सम्पूर्ण मानवता में हाहाकार ही मचा है। इसका बड़ा कारण संत तो निरंहकारी, निःस्वार्थी और निर्भयी होता है जबकि शासक सामान्यतः स्वार्थी और अंहकारी होते हैं । इसलिए राजा और संत प्रायः टकराव की ही मुद्रा में रहते हैं। वर्तमान में स्वामी रामदेव का विदेश में काले धन की वापिसी और उसे देश की सम्पति घोषित करने को लेकर चल रहे आन्दोलन को इसी नजर से देखा जा सकता है।
काले धन और भ्रश्टाचार के विरूद्ध लड़ाई के नायक स्वामी रामदेव-वास्तव में स्वामी रामदेव जी ने भारत की कई दशकों की दबी पीड़ा को ही स्वर दिया है। जनता का यह समर्थन ही स्वामी जी की बहुत बड़ी ताकत है। देश के सर्व सामान्य व्यक्ति को स्वामी जी उनकी ही लड़ाई लड़ते दिखाई दे रहे हैं । स्वामी रामदेव और अन्ना हजारे के आन्दोलन ने देशवासियों में एक आशा उत्पन्न कर दी है। जिस व्यवस्था को देशवासी अपनी नियति मान कर कल तक चुपचाप असहाय हो कर सह रहे थे आज उन्हें उसके नागपास से छुटकारा पाने की उम्मीद जग गई है। यही कारण है कि स्वामी जी एवम् अन्ना हजारे के एक आहवान पर लाखों लोग दिल्ली आ पहुंचे थे। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ये लोग राजनैतिक दलों द्वारा दिहाड़ी पर लाए लोग नहीं थे। सरकार ने स्वामी रामदेव जी और अन्ना हजारे के आन्दोलन को कुचलने के लिए जी भर कर प्रयास कर लिए लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो इन दोनों के बीच फूट डालने की भी पूरी कोशिश की। लेकिन देश के भाग्य से सरकार अपनी इस चाल में भी कामयाब नहीं हो पाई।
स्त्री हठ,बाल हठ ,राजहठ और संत हठ ये सब अपनी-अपनी जिद के लिए प्रसिद्ध हैं । इनमें से जहां संत हठ में समाज हित निहित रहता है वहीं राज हठ में राजा अपने अहंकार की पूर्ति के लिए समाज हित की बलि चढ़ाता आया है। हमारे देश का इतिहास संत और सत्ता के अनेक संघर्षों का गवाह है। वैसे हमारे देश में इस खींचतान मे हमेशा संत की ही जीत हुई है। इसके विपरीत जब कभी राजा विजयी हुआ तो सम्पूर्ण मानवता में हाहाकार ही मचा है। इसका बड़ा कारण संत तो निरंहकारी, निःस्वार्थी और निर्भयी होता है जबकि शासक सामान्यतः स्वार्थी और अंहकारी होते हैं । इसलिए राजा और संत प्रायः टकराव की ही मुद्रा में रहते हैं। वर्तमान में स्वामी रामदेव का विदेश में काले धन की वापिसी और उसे देश की सम्पति घोषित करने को लेकर चल रहे आन्दोलन को इसी नजर से देखा जा सकता है।
काले धन और भ्रश्टाचार के विरूद्ध लड़ाई के नायक स्वामी रामदेव-वास्तव में स्वामी रामदेव जी ने भारत की कई दशकों की दबी पीड़ा को ही स्वर दिया है। जनता का यह समर्थन ही स्वामी जी की बहुत बड़ी ताकत है। देश के सर्व सामान्य व्यक्ति को स्वामी जी उनकी ही लड़ाई लड़ते दिखाई दे रहे हैं । स्वामी रामदेव और अन्ना हजारे के आन्दोलन ने देशवासियों में एक आशा उत्पन्न कर दी है। जिस व्यवस्था को देशवासी अपनी नियति मान कर कल तक चुपचाप असहाय हो कर सह रहे थे आज उन्हें उसके नागपास से छुटकारा पाने की उम्मीद जग गई है। यही कारण है कि स्वामी जी एवम् अन्ना हजारे के एक आहवान पर लाखों लोग दिल्ली आ पहुंचे थे। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ये लोग राजनैतिक दलों द्वारा दिहाड़ी पर लाए लोग नहीं थे। सरकार ने स्वामी रामदेव जी और अन्ना हजारे के आन्दोलन को कुचलने के लिए जी भर कर प्रयास कर लिए लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो इन दोनों के बीच फूट डालने की भी पूरी कोशिश की। लेकिन देश के भाग्य से सरकार अपनी इस चाल में भी कामयाब नहीं हो पाई।
भारत के भाग्योदय का समय आ पहुंचा है-ंलगता है देश और दुनिया के अनेक महापुरुषों की भविष्यवाणी साकार होने का समय आ गया है । महाऋशि अरविन्द जी ने भारत के भाग्योदय के लिए 2011 का समय बताया है। अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव जी के आन्दोलन से आ रही जागृति इसी ओर संकेत कर रही है। इसके अलावा अगर ये आन्दोलन अपने मिशन में सफल हो जाते हैं तो भारत की कायाकल्प रातों रात वैसे ही हो जाएगी । विदेश में छिपा काला धन देशवासियों के अनुमान से कहीं अधिक है। एक अनुमान के अनुसार विदेश से 400 लाख करोड़का धन विदेश से हम सबको चिढ़ा रहा है।देशवासियों के खून पसीने की कमाई यह काला धन देश में वापिस आ जाने और देश की सम्पति घोषित हो जाने पर भारत दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन जाएगी। गरीबी ,कुपोषण और बेरोजगारी बीते जमानों की बाते हो जाएंगी ।
जगने,जगाने ओर हुंकार भरने का समय आ गया है-आज ये आन्दोलन जिस मुकाम पर आ पहुँचा है इस मोड़ पर सम्पूर्ण देश का जगना और साथ जुड़ना आवश्यक है। याद रखें जिस दिन देशवासी अपना गुस्सा और समर्थन अपने घर, आंगन से बाहर दिल्ली तक पहुंचाने की कला और आवश्यकता समझ लेंगे उसी दिन से देश केे अच्छ दिन प्रारम्भ हो जाएंगे । आचार्य श्री राम कहते थे कि इस दुनिया ने दुश्टों की दुश्टता के कारण नहीं बल्कि सज्जनों की उदासीनता के कारण ज्यादा हानि उठाई है। आज स्वामी रामदेव और अन्ना हजारे की हुंकार से सरकार चिढ़ गई लगती है। ऐसे में समाज को ही यह सुनिश्चित्त करना होगा कि राजहठ में देश एक राष्ट्र ऋशि को न खो दे। इसके लिए सरकार पर सब ओर से सब प्रकार का दबाव बनाना होगा । याद रखें कि राजनैेतिक दिल्ली का दिल बड़ा कमजोर होता है । थोड़ा सा पारा बढ़ने पर ये पिधलने लग पड़ता है। हमें बस थोड़ी सी भृकुटि टेढ़ी करने की आवश्यकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें