गुरुवार, 7 अगस्त 2014

कैसे स्वागत करें बता तो सही तेरा ऐ अंग्रेजी साल!

स्वागत कैसे करें तेरा अंग्रेजी नए साल!
न मन में, न तन में और न प्रकृति में
कहीं कोई ख़ुशी, उमंग और उत्साह नहीं
वही कक्षा विद्यार्थी की
वही खाता व्यापारी का
मुरझाये पेड़, फल, फूल कह रहे अपनी व्यथा 
कहीं भी तो कोई आहट नहीं!
नई खुशियों की.... या नए स्वप्नों की !!
जान लेती ठंड, जाम के जाम.
गटकने के बाद भी
मर्यादा की सारी सीमाऐं लांघ कर भी
गले में बाजू डाल
एडम और इब बन जाने के बाद भी
दूर दूुर तक कहीं अहसास होता है क्या
किसी गर्माहट का ?
सोच जरा
हमें जब स्वयं अपनी संस्कृति, इतिहास व् पुरखों पर गर्व नहीं
फिर भला लोग क्यों सम्मान करें तेरा और तेरे देश का?
क्या तुझे पता है?
सारा यूरोप अपनी जीवन शैली से निराश
हरिद्वार और बृंदावन में तेरे संतोें
के चरणों पर माथा रगड़ रगड़ कर
मांगते हैं जीवन जीने का ज्ञान.....
और मांगते हैं जीवन भर दम्पति साथ रहे
इसका मन्त्र
और तू नादान बन कर, क्या कर रहा है ?
दुनिया की जूठन में खुशियां मत तलाश मेरे मित्र...
पागल मत बन, दुनिया के खोखले जश्न में खो कर ,
नए साल के वैश्विक शोर में खो कर
अपने से धोखा न कर!
माना की आज दुनिया में तूती बोलती अंग्रेजी साल की
तो क्या हुआ? दुनिया का अज्ञान भी तो हमी ने दूर करना है
औरों की ख़ुशी में खुश होना गलत नहीं
लेकिन क्या तुझे पता है कि
ये ख़ुशी अपने साथ एडम इव और रेव पार्टियों  की संस्कृति भी लाती है
और फिर गुलामी की निशानी भी तो है
अंग्रेजों की ख़ुशी में खो अपने नव वर्ष को भूल भी तो रहा है तू...
क्या हो गया है तेरी प्रज्ञा को .....
जिस पर कभी नाज था तुझे,और तेरे देश को!
एक बार भारत को भारत की नजर से देख जरा भारत के गौरवशाली अतीत से जुड़ कर देख जरा
बदल जाएंगे जीवन के अर्थ ही तेरे लिए
और गर्व करेंगे तेरे पुरखे तुझ पर
याद् रख!शेर बनी बनाई लीक पर न चलते
तू झांक जरा अपने गौरवशाली अतीत में
और कर तैयारी जोश और उत्साह से
चैत्र शुक्ल एक नव वर्ष की..........

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