शायद बहुत ही कम देश्वासिओं को पता होगा कि मई, जून की भयंकर गर्मीं में जब लोग अपने परिवार के साथ मनाली, मंसूरी या कश्मीर जैसे ठंडे स्थानों में आनन्द मनाने जाते हैं वहीँ हर साल लगभग 20,000 युवा व् प्रौढ़ कठोर साधना के लिए स्वयं को समर्पित करते हैं। संघ की कार्य पद्धति का ही परिणाम है कि बिना किसी शोर-शराबे के यह साधना गत आठ दशकों से निरंतर चलती आ रही है। यहाँ रोचक और बहुतों को हैरान करने वाली बात होगी कि इन वर्गों में भोजन, वर्दी तथा वर्ग स्थान तक आने जाने का खर्चा स्वयंसेवक स्वयं वहन करते हैं। विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी पूरी शक्ति देशभक्त, चरित्र एवं अनुशाशन से युक्त नागरिक निर्माण करने में लगाती है। अपनी स्थापना के तुरंत बाद संघ बिना किसी प्रचार के साधारण सी दिखने वाली शाखा के द्वारा अपनी साधना में जुट गया। इसी अद्भुत कार्य शैली के बल पर आज संघ भारत में एक शक्ति बन चुका है। संघ देश प्रेमिओं के लिए आशा और विश्वास वहीँ देश विरोधी शक्तिओं को अपनी राह में रोड़ा दिखता है। इसी कारण संघ का भारी विरोध भी होता है। संघ की कठोर प्रक्रिया से निकले लाखों स्वयंसेवक देश सेवा में अपना योगदान डाल रहे हैं। यहाँ यह जानने योग्य है की ज्ञात स्वयमसेवकों से अज्ञात स्वयंसेवक कई गुणा अधिक हैं जो मूक साधन में लगे हुए हैं। स्वयंसेवक के जीवन का सूत्र ही है-
तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं।। संघ की मौन लेकिन निरंतर साधना के कारण ही आज देश की बागडोर स्वयंसेवकों के हाथ में है। देश वासिओं को स्वयंसेवकों से बहुत आशा है। देश स्वयंसेवकों पर आँख बंद कर विश्वास भी करता है। रोचक बात ये है की राजनैतिक कारणों से संघ का विरोध करने वाले अनेक लोग व्यक्तिगत रूप में संघ के प्रशंशक हैं। और अपने मन की यह बात वे सार्बजनिक तौर पर व्यक्त करते भी रहते हैं। इस वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग भी प्रारम्भ हो चुके हैं। वर्गों का प्रकार - सात दिन का प्राथमिक शिक्षा वर्ग इसके बाद 20-20 दिन के प्रथम और द्वितीय वर्ष और ऑपचारिक प्रशिक्षण का अंतिम पड़ाव 30 दिन का तृतीय वर्ष। यहाँ उलेखनीय है कि जहाँ प्राथमिक वर्ग अपने जिला प्रथम व् द्वितय वर्ष अपने राज्य में होता है वहीँ तृतीय वर्ष केवल नागपुर में ही होता है। इन्ही वर्गों से प्रेरणा प्राप्त कर हर साल लगभग 400 युवा अपना पूरा समय संघ के माध्यम से राष्ट्र सेवा को समर्पित करते हैं। ये प्रचारक संघ संगठन की बहुत बड़ी ताकत मानी जाती है। आईए! देशभक्ति के इस महाभियान से हम भी जुड़ें। संघ को अखबार, चैनल या नेताओं के द्वारा समझने के बजाये सीधा जुड़ कर स्वयम अनुभव करें । संघ कार्य की गहराई, पवित्रता और राष्ट्र को विश्व गुरु बनाने का जनून और इतना ही नहीं तो इसके लिए निश्चित कार्ययोजना को समीप हो कर देखें ।
सोमवार, 26 मई 2014
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ -व्यक्ति निर्माण का महायज्ञ
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