युवकों की जवानी और बहता पानी इसका सदुपयोग अगर देश हित में हो जाए तो देश का परिदृश्य बदलते देर नहीं लगेगी। इस असीमित ऊर्जा का सार्थक उपयोग न होने पर देश और समाज को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। लक्ष्य के आभाव में जवानी कैसा तांडव कर सकती है अभी अभी हरियाणा में जाट आरक्षण के नाम पर मचायी गयी तबाही इसका ताजा एवम् दुखदायक उदाहरण है। इसी प्रकार जेएनयू में सरकारी पैसे के बल पर पल रहे युवा देश विरोध में कार्य करने में शर्मिंदगी अनुभव करने के बजाए अपना गौरव मानते हैं। इसी प्रकार अनियंत्रित पानी प्रतिवर्ष कितनी ही उपजाऊ भूमि के साथ जान मॉल की क्षति कर सकता है यह हम सब जानते ही हैं।
पिछले दिनों सर्वहितकारी शिक्षा समिति (पंजी.) पंजाब ने युवकों की अथाह ऊर्जा को राष्ट्र सेवा में उपयोग करने के लिए पंजाब केसरी लाला लाजपतराय के 150 जन्मवर्ष को निमित बना कर दो प्रमुख प्रयोग किए। सामान्य धारणा है कि आज के युवक अच्छा साहित्य नहीं पढ़ते। समिति ने पंजाब में युवकों तक सत साहित्य पहुंचाने के लिए साहित्य रथ चलाया। युवकों ने सारी धारणाओं को चकनाचूर कर दिया। साहित्य रथ से अब तक छात्र लगभग 5 लाख की पुस्तकें खरीद चुके हैं। इस प्रकल्प ने सिद्ध कर दिया कि अगर अच्छा साहित्य उपलब्ध करवाया जाए तो हमारे युवा खूब रूचि दिखाते हैं। इसी प्रकार अभी तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लाला लाजपतराय 150 जन्म वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों में 10,000 से ज्यादा छात्र शामिल हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की सहभागिता पूर्णत: स्वैच्छिक व् स्वयंस्फुर्त थी।
स्लम सेवा की ओर जवानी- साहित्य रथ के समय छात्रों से बात करते समय उनसे लाला लाजपतराय के प्रेरक जीवन से प्रेरणा ले कर समाज सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया गया था। इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए हमने 'स्लम सर्वेक्षण' की योजना बनाई। उसके लिए छात्रों की एक दिवसीय कार्यशाला करने की योजना की। इस कार्यशाला में 8 कालेजों से 180 छात्रों से भाग लिया। कार्यशाला में समाज सेवा में छात्रों की रूचि पर्याप्त उत्साहवर्धक थी। प्रस्तावना सत्र में सर्वहितकारी पंजाब के प्रान्त संगठनमंत्री श्री विजय नड्डा ने छात्रों को देश व् समाज के प्रति उनके दायित्व का स्मरण कराया। उन्होंने प्रत्येक छात्र से जीवन का लक्ष्य 'भारत सेवा' रखने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि डॉक्टर, इंजनियर, आईएएस, वैज्ञानिक, राजनेता आदि हमने देश सेवा के लिए बनना है। इसी सत्र में युवा आईएएस श्री जितेंद्र जोरवार ने छात्रों को समाज सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया। दूसरे सत्र में सर्वेक्षण प्रोजेक्ट डाइरेक्टर श्री संजीव नवल ने छात्रों से सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा की। इसी सत्र में वरिष्ठ आईएएस एच एस नन्दा डिविजनल कमिश्रर ने छात्रों को समाज सेवा के पथ पर आगे आने के लिए बधाई दी। उन्होंने छात्रों से सर्वेक्षण पर न रुक कर गरीब वर्ग की समस्याओं के समाधान में प्रभावी भूमिका निभाने का आग्रह किया। इस कार्य के लिए श्री नन्दा जी ने अपना सहयोग और सेवा प्रस्तुत की। इसके बाद विद्यार्थी कालेज के अनुसार बैठे। इन बैठकों में प्रधानाचार्य श्री देश राज शर्मा, संघ के पंजाब प्रान्त सह संघचालक ब्रिगे. जगदीश गगनेजा, प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री रामगोपाल जी तथा श्री संजीव नवल ने छात्रों से बात की। अंतिम सत्र में श्री विजय नड्डा ने छात्रों के प्रश्नों के उत्तर दिए। छात्रों को सम्बोधित करते हुए श्री देश राज जी ने समस्या समाधान से पहले उसे समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सर्वेक्षण के लिए बड़ी संख्या में छात्रों के शामिल होने को सरहनीय बताया। श्री गगनेजा जी ने अपने रोचक अंदाज में छात्रों से देश समाज सेवा के लिए सदैव आगे आने का आह्वान किया।
छात्र अपनाएंगे स्लम बस्तियां- जालन्धर में कालेज छात्र समाज सेवा में नया अध्याय लिखेंगे। योजनानुसार सर्वेक्षण के पश्चात छात्रों को सेवा बस्तियों में सेवा व संस्कार केंद्र प्रारम्भ करने का आग्रह किया जायेगा। आगे चल कर इच्छुक छात्रों को व्यवहारिक प्रशिक्षण भी देने की योजना है। प्रयास है कि कालेज अपनी रुचि और सामर्थ्य के अनुसार एक या दो बस्तियां स्थायी रूप से अपना लें। कालेज अपनी तय बस्तियों में विद्यार्थी व अध्यापकों के माध्यम से बस्ती विकास के प्रकल्प प्रारम्भ करे। कालेज द्वारा बस्ती गोद ले लेने से बस्ती विकास में सातत्य बना रहेगा। प्रारम्भिक उत्साहजनक प्रतियुतर से लगता है कि जालन्धर में 10 कालेज लगभग 10 बस्तियां अपना लेंगे। इस बस्तियों में छात्र संस्कार केंद्र, साक्षरता केंद्र तथा सरकारी योजना का लाभ जरूरतमन्द तक पहुंचने के लिए योजनाओं की जानकारी और उनमे जन सहभाग सुनिश्चत करने के लिए जनजागरण आदि कार्य अपने हाथ में लेंगे। आज जब राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी तथा धन कुवेर समाज के प्रति अपने दायित्व में सार्थक और प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं तो लगता है देश की जवानी को यह चुनोती स्वीकार करनी होगी। और सब जानते हैं कि जो जवानी चुनोती स्वीकार न करे उसे जवानी कहा भी कैसे जा सकता है? कहा भी गया है-
होता है जो होने दे यह पौरषहीन कथन है,
होगा वही जो हम चाहेंगे यही युवापन है। युवाओं के इन सेवा कार्यों से कितने जीवन व घर रोशन होंगे, यह एक विचारणीय विषय हो सकता है। लेकिन अंग्रेजी कहावत 'seeing is believing' के अनुसार सबसे बड़ा लाभ युवकों को जीवन का असली अर्थ ध्यान में आएगा। इनके कोमल मन में गरीबों के प्रति दर्द एक जिम्मेवार नागरिक बनाएगा। इन्हें असली भारत का साक्षात्कार होगा। इसी साक्षात्कार ने नरेंद्र विवेकानन्द बन सकता है, मार्गरेट नोबुल निवेदिता बन सकती है तो हमारे आज के युवाओं के जीवन में सकारत्मक परिवर्तन क्यों नहीं आ सकता? अपनी आँखों से, नजदीक से गरीबी देखने के कारण युवा समाज के प्रति अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होंगे। जीवन में जब कभी ये कुछ करने की स्थिति में आएंगे तो भरष्टाचार आदि रोगों से इन्हें दूर रहेंगे। ऐसे जागरूक, संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक ही तो किसी देश और समाज की असली ताकत होते हैं। ऐसे नागरिक निर्माण करने में सर्वहितकारी शिक्षा समिति यह छोटा सा प्रयास है यह प्रकल्प।
मंगलवार, 1 मार्च 2016
' जालन्धर मेगा स्लम सर्वे ' जवानी को सेवा पथ पर बढ़ाने का एक अभिनव प्रयोग
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