शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014

सुन रे भुट्टो

बिना सिंध के हिन्द कहाँ है
रावी बिन पंजाब नहीं।
गंगा कैसे सुखी रहेगी
जब तक संग चिनाब नहीं।
लाहौर बिना तो संविधान की
अपनी बात अधूरी है
बिना कराची कैसे कह दें
यह आजादी पूरी है
आजादी का जश्न मनेगा
पेशावर की गलिओं में
तभी तो खुशबु आ पायेगी
कश्मीर की कलियो में
दिल्ली तुझे कसम है
अबकी मत रोड़े अटकाना
ताशकंद व् शिमला जैसे
समझौते मत दोहराना
वचन हमारा रणभूमि में ऐसी तान बजाएंगे
गाढ़ तिरंगा सिन्धु तट पर
बंदे मातरम गायेंगे
सांप सपोलों ने दिल्ली को ललकारा है
घोप कटारी कह दो उनको
पाकिस्तान हमारा है। 

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