गुरुवार, 29 जून 2017

बहुत नाज उठा लिए तेरे ये जिंदगी


बहुत नाज उठा लिए तेरे ये जिंदगी, लगता है मैं तेरे काबिल नहीं,
निभेगी नहीं कत्तई शायद हमारी, बेहतर होगा तू मेरा हिसाब कर दे ,

हमारा मिलना महज एक संयोग था, ये तो तू भी जानती है
साथ निभाने की कोशिश ईमानदार थी ये तो तू भी जानती है।
रिश्ते मिलना और निभना एक संयोग है ये तो तू भी मानती है
लाख जतन से भी नियति से जीतना कठिन है ये तो तू भी जानती है

वैसे मुझे तो कोई शिकवा या शिकायत नही है तुझसे, ये जिंदगी
क्या करूँ तेरे रोज रोज के दुख औऱ रोने से परेशान हूं ये जिंदगी
बहुत हो गया तेरी आँखों मे आंसू अब देखे नहीं जाते, ये जिंदगी
खुशी न दे सके तुझे मेरा यह साथ, तो जा बिछुड़ जा, ये जिंदगी

इस मोड़ पर पटक दिया तूने,  तू ही बता मैं क्या करूँ? कहां जाऊं?
छोड़ साधना खुदा की अब संसार सागर में गोते लगाऊं, डूब जाऊं?
तूने तो वायदा किया था खुश रहने और मुझे खुश रखने का ये जिंदगी
मेरा साथ बस एक साधना है समझ ले, सोच ले औऱ बता दे ये जिंदगी

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