गुरुवार, 19 सितंबर 2019

क्या पाक अधिकृत कश्मीर लेकर देश और दुनिया को फिर चोंकाएंगे प्रधानमंत्री मोदी?


कहते हैं संसार में कुछ ही लोग इतिहास रचते हैं शेष लोग तो उस इतिहास को गुनगुनाते और गाते मात्र हैं। लगता है नियति ने इतिहास रचने का देव दुर्लभ अवसर एवं कार्य श्री मोदी जी को सौंपा है, जिसे वे बखूबी करते जा रहे हैं। पूरे विश्व को हैरान करते हुए  इतिहास रचने के पथ पर श्री मोदी जी के कदम बिना रूके आगे बढ़ते ही जा रहे हैं। उनके आगे बढ़ने का ढंग और गति कुछ ऐसी है कि जब तक दुनिया उनके पिछले कदमों का विश्लेषण पूरा कर भी नहीं पाती कि श्री मोदी विश्व को हैरान कर देने वाला कुछ नया कर देते हैं। मजेदार बात है कि उनके हर कदम में नयापन लोगों को हैरान करने वाला है। भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के राजनीतिक पंडित ही नहीं तो मैनेजमेंट के गुरू भी आचम्भित हैं। लगता है स्वतंत्रता के कई दशकों बाद भारत माता ने अपने योग्य सपूत के हाथों देश की बागडोर सौंप कर कुछ राहत एवं संतोष की सांस ली होगी। जम्मू कश्मीर के दशकों पुराने राजनीति एवं कुछ राजनीतिक परिवारों  के स्वार्थ प्रेरित अलगाववाद के रोग को जड़ से उखाड़ने के बाद अब पूरा देश एवं विश्व पाक अधिकृत कश्मीर एवं अयोध्या को लेकर मोदी सरकार के अगले कदम की ओर सांस रोके एकटक निहार रहा है।
*370 हटा कर दी हजारों शहीदों को श्रद्धांजलि* - संघ परिवार को छोड़ कर लगभव समस्त देश धारा 370 के साथ जीना ही अपनी नियति मान चुका था। यह अस्थायी प्रावधान राज्य की स्वार्थ केंद्रित राजनीति का सहारा मिल जाने के कारण राज्य के खून में ही समा गया था। इन लोगों ने धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले हमारे कश्मीर को जहनुम बना कर रख दिया था। जम्मू कश्मीर को इन धूर्त लोगों के हवाले करने का अर्थ बंदर के हाथ चाकू पकड़ाने जैसा ही था। दिल्ली की संकुचित सोच एवं  तत्कालिक स्वार्थ केंद्रित राजनीति के चलते देश को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के स्वप्न को ले कर डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर कितने ही ज्ञात एवं अज्ञात देशवासी शहीद हो गए। कितने ही देशवासी विशेष कर राज्य के देशभक्त नागरिक एवं सुरक्षा बल आतंकवाद की भेंट चढ़ गए। आज जो लोग पाक के इशारे पर अपनी राजनीति चलाने वाले अब्दुला एवं महबूबा सहित कुछ मात्र सैकड़ों  शरारती लोगों के जेल में होने पर आंसू बहा रहे हैं, उनके आंसू पाखंड के सिवा कुछ नहीं हैं। देश जानना चाहता है कि वे सब उन असंख्य निर्दोष नागरिकों को आतंकवाद की भट्टी में स्वाहा होते देख चुप क्यों थे? सुखद संतोष का विषय इतना है कि आज दिल्ली उनके इस पाखंड को बखूबी पहचानती है औऱ इन आंसुओं में बहने को तैयार नहीं है। आज सम्पूर्ण देश को राजनीति की चौखट से बाहर निकल कर दिल्ली की वर्तमान दृढ़ एवं दूरदर्शी सरकार के साथ खड़े होने की आवश्यकता है।
*पाक अधिकृत कश्मीर लेना होगा अखंड भारत की दिशा में बड़ा और पहला कदम*- वैसे हम सब जानते हैं कि 1947 में अपनी प्रिय मातृभूमि का विभाजन ही अपवित्र एवं उस समय की राजनीति का आपराधिक कृत्य था।  महृषि अरविंद, श्री गुरू जी गोलवलकर जैसे अनेक दूरद्रष्टा इसे प्रकृति के विरुद्ध एक अस्थाई व्यवस्था कह चुके हैं। महृषि अरविंद तो कहते थे कि जब तक यह विभाजन रहेगा तब तक दोनों देश दुःखी रहेंगे। स्वतंत्र भारत एवं पाकिस्तान का  अभी तक का इतिहास इन महापुरूषों की भविष्यवाणी को सत्य सिद्ध करता है। वैसे भी लाहौर, करतारपुर एवं कराची के बिना भारत भी अधूरा ही तो है। रोज रोज के खून खराबे से छुटकारा पाने के लिए पाकिस्तान का भारत में सम्पूर्ण विलय ही एक मात्र समाधान है। पाक अधिकृत कश्मीर वापिस लेना इस दिशा में पहला कदम हो सकता है।   सिंध और बलोचिस्तान भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देश रहे हैं। इन प्रदेशों की जनता की हालत रावण की कैद में रोती बिलखती एवं श्री  राम की ओर आशा भरी नजरों से निहारती सीता जैसी है। आज बंग्लादेश को पाक के कब्जे से स्वतंत्र कराने जैसा बड़ा कदम लेने का अवसर आ गया है। लगता है नियति श्री मोदी के हाथों यह बड़ा काम भी करवाने की व्यूह रचना रच चुकी है। प्रतीक्षा केवल समय और  कार्यशैली की है क्योंकि लकीर पर चलना शायद वर्तमान प्रधानमंत्री के स्वभाव में नहीं है।
*देश को भी रहना होगा तैयार* - किसी भी सरकार की ताकत उस देश की राष्ट्रभक्त जनता होती है। आज यद्यपि देश का विश्वास एवं समर्थन मोदी सरकार के साथ है तो भी यह समर्थन और मुखर होना आवश्यक है। हमें ध्यान रखना होगा कि देश के अंदर और बाहर की बहुत शक्तियां ऐसी मजबूत एवं दूरदृष्टि वाली सरकार को सहन नहीं कर पा रही हैं। अपने पैरों पर मजबूती एवं स्वाभिमान से खड़ा होता भारत, भारत के शत्रुओं को ही नहीं तो अमेरिका जैसे मित्रों को भी  सहन नहीं हो रहा है। प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक चेतन भगत ने अपने एक उपन्यास में मनुष्य मनोविज्ञान की सुंदर सच्चाई बयां की है कि दोस्त के फेल होने पर दुःख होता है लेकिन दोस्त के अपने से ज्यादा अंक लेने पर और भी ज्यादा दुःख होता है। यही स्थिति आज भारत के दुश्मनों के साथ साथ अनेक दोस्तों की भी है। हमें ध्यान रखना होगा कि देश के अंदर भी बहुत लोग वर्तमान नेतृत्व से दुःखी भी हैं। वे वर्तमान सरकार को अस्थिर करने का कोई मौका चूकेंगे नहीं। आखिर काला धन एवं बेनामी प्रोपर्टी में जिन बड़ी मछलियों को नंगा किया जाएगा वे कहां चुप बैठेंगे? देश के बाहर पाकिस्तान के साथ साथ हमें चीन से भी पंजा लड़ाने की अपनी सिद्धता रखनी होगी । इसके लिए कुछ वर्षों तक हम सबको दाल,प्याज, डीजल एवं पेट्रोल जैसी बातों को एक ओर कर सरकार के साथ मजबूती से खड़े होना होगा। देश विदेश के बहुत लोग अर्थ व्यवस्था , जीडीपी एवं अन्य विषयों की ओर ध्यान खींच कर मूल मुद्दों से भटकाने का प्रयास होगा। प्याज जैसे मुद्दों पर सरकार बदल देने वाली हमारी जनता को राजनैतिक सूझबुझ एवं समझदारी दिखाने के लिए तैयार करना होगा। सरकार के प्रति अविश्वास एवं आक्रोश निर्माण करने का बड़े स्तर पर प्रयास हो सकता है। समाज को बांटने के लिए मॉब लिन्चिंग से लेकर साम्प्रदायिक दंगों का षड्यंत्र  भी रचा जा सकता है। हम सबको मिल कर आज के दुर्योधनों के सभी प्रहारों को निष्प्रभावी करना होगा। याद रखें इतिहास की रचना होते समय हम किस पाले में हैं जहां यह महत्वपूर्ण है वहीं हम जिस पाले में हैं वहां सत्य की विजय के लिए कितनी ताकत से जूझे, यह उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। कवि की इस चेतावनी को हमें स्मरण रखना होगा-
यह मत समझो कि पाप का भागी केवल व्याध।
जो चुप हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।।
*इतिहास बनते देखने वाले हम सौभाग्यशाली हैं*- हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि कश्मीर को पूर्णतः भारत में जोड़ने से लेकर तीन तलाक तक, स्विस बैंक में पड़े काले धन को भारत वापिस लाने से लेकर विज्ञान में बुलन्दियों को छूने जैसे अनेक स्वर्णिम पृष्ठ लिखे जाने का साक्षी बनने का सुअवसर मिल रहा है। अभी श्री रामजन्म भूमि पर भगवान राम का भव्य मन्दिर भी अपनी आंखों के सामने निर्माण होते हुए देखने का सुअवसर मिलने की पूरी सम्भावना है। गुरू नानक जी के लेकर गुरू गोबिंद सिंह तक, छत्रपति शिवाजी से लेकर छत्रसाल एवं महाराजा रणजीत सिंह तक असंख्य  महापुरुषों की अधूरी इच्छा पूरी होने का समय समीप आता दिख रहा है। हमें बस पूरी ताकत एवं विश्वास के साथ सरकार के साथ खड़े होने की आवश्यकता भर है। इसका अर्थ वर्तमान सरकार ने धरा पर स्वर्ग ला दिया है या इस सरकार की कार्यशैली में सुधार की गुंजाइश नहीं है, यह कत्तई कहना नहीं है लेकिन कुछ वर्षों तक जनमानस का बस एक ही नारा एवं स्वप्न होना आवश्यक है।  अखंड भारत, सुरक्षित सीमाएं, आतंकवाद मुक्त भारत, श्रीरामजन्म भूमि पर भव्य मन्दिर एवं सुखी सम्पन्न भारत यही नई पीढ़ी की आंखों का स्वप्न है और वर्तमान नेतृत्व इस लक्ष्य को प्राय करने के लिए न केवल कटिबद्ध दिखती है बल्कि उसके लिए पूरी शक्ति एवं दृढ़ता के साथ प्रयासरत भी है !!!