बुधवार, 17 अगस्त 2016

*बंटवारे का दर्द

डायरेक्ट एक्शन’ का डर...!
- प्रशांत पोल
हमारे देश में जब १८५७ का स्वातंत्र्य युध्द समाप्त होने को था, उस समय अमरीका का दृश्य बड़ा भयानक था. १८६१ से १८६५ तक वहां गृहयुध्द चल रहा था. अमरीका के ३४ प्रान्तों में से दक्षिण के ११ प्रान्तों ने गुलामी प्रथा के समर्थन में, बाकी बचे (उत्तर के) प्रान्तों के ‘यूनियन’ के विरोध में युध्द छेड़ दिया था. उनका कहना था, ‘हम विचारों के आधार पर देश चलाएंगे. इसलिए हमें अलग देश, अलग राष्ट्र चाहिए..!’

वह तो भला था अमरीका का, जिसे अब्राहम लिंकन जैसा राष्ट्रपति उस समय मिला. *लिंकन ने अमरीका के बंटवारे का पूरी ताकत के साथ विरोध किया. गृहयुध्द होने दिया, लेकिन बंटवारे को टाला..! और आज..? आज अमरीका विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत हैं.*

यदि १८६१ में अमरीका का बंटवारा स्वीकार होता, तो क्या आज अमरीका वैश्विक ताकत बन सकता था..?

उत्तर हैं – नहीं.

*यह तो हमारा दुर्भाग्य था, की उस समय हमारे देश का नेतृत्व ऐसे हांथों में था, जिन्होंने डरकर, घबराकर, संकोचवश, अतिसहिष्णुता के कारण देश का बंटवारा मंजूर किया..! यदि अब्राहम लिंकन जैसा नेतृत्व उस समय हमें मिलता तो शायद हमारा इतिहास, भूगोल और वर्तमान कही अधिक समृध्द रहता..!*

तत्कालीन नेतृत्व की बड़ी भूल थी की वे मुस्लिम लीग के विरोध में खुलकर कभी नहीं खड़े हुए. हमेशा मुस्लिम लीग को पुचकारते रहे. गांधीजी और कांग्रेस  के कुछ नेताओं को लग रहा था की अगर हम मुस्लिम लीग की मांगे मांगेंगे तो शायद उनका ‘ह्रदय परिवर्तन’ होगा. लेकिन यह होना न था, और नहीं हुआ..!

१९३० के मुस्लिम लीग के अलाहाबाद अधिवेशन में, अध्यक्ष पद से बोलते हुए कवी इकबाल (वही, जिसने ‘सारे जहाँ से अच्छा..’ यह गीत लिखा था) ने कहा की, ‘मुसलमानों को अलग भूमि मिलना ही चाहिए. हिन्दू के नेतृत्व वाली सरकार में मुसलमानों को अपने धर्म का पालन करना संभव ही नहीं हैं..!’

अलग भूमि, अलग राष्ट्र का सपना हिन्दुस्तान के मुसलमानों को दिखने लगा था. लंदन में बैठे रहमत अली ने इकबाल के भाषण का आधार ले कर अलग मुस्लिम राष्ट्र के लिए एक पुस्तक लिख डाली. उस मुस्लिम राष्ट्र को उसने नाम दिया – पाकिस्तान..!

दुर्भाग्य से गांधीजी और बाकी का कांग्रेस नेतृत्व इस भयानकता को नहीं समझ पाया. ऊपर से मुस्लिम लीग दंगे कराने का डर दिखाती थी.. और दंगे कराती भी थी. इन दंगों में कांग्रेस की भूमिका निष्क्रिय रहने की होती थी, कारण गांधीजी ने अहिंसा का व्रत लिया था. *इसी दरम्यान गांधीजी ने कहा की, ‘मुझे स्वतंत्रता या अखंडता की तुलना में अहिंसा अधिक प्रिय हैं. अगर हिंसा से स्वतंत्रता या अखंडता मिलती हैं, तो वह मुझे नहीं चाहिए..!’*

एक अब्राहम लिंकन ने दूरदर्शिता दिखाते हुए, हिंसा या गृहयुध्द के कीमत पर अमरीका को एक रखा और विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाया...

और हमारे यहां..?

हिंसा के भय से, प्रतिकार करने के डर से हमारे नेतृत्व ने विभाजन स्वीकार किया..!

आगे चलकर मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन की धमकी दी. कहा की ‘पाकिस्तान को मंजूरी दो, नहीं तो १६ अगस्त १९४६ को हम ‘डायरेक्ट एक्शन’ लेंगे..’

*अखंड बंगाल का मुख्यमंत्री उस समय था, हसन सुऱ्हावर्दी. उसने १६ अगस्त से १९ अगस्त, इन चार दिनों में चार हजार हिन्दुओं का कत्ले-आम किया. बीस हजार से ज्यादा हिन्दू गंभीर रूप से जख्मी हुए. कितने माँ-बहनों की इज्जत लूटी गई, इसकी कोई गिनती नहीं हैं..!*

और इस ‘डायरेक्ट एक्शन’ से कांग्रेसी नेता डर गए. यही बड़ी भूल थी.

प्रतिकार भी किया जा सकता था. दुनिया के सामने मुस्लिम लीग के इस बर्बरता को रखा जा  सकता था. हम लोगों में प्रतिकार करने की शक्ति थी.

अखंड भारत के पश्चिम प्रान्त में बड़ी संख्या में हिन्दू थे. इरान से सटा हुआ था, बलोचिस्तान. *इस बलोचिस्तान में और बगल के सिस्तान प्रान्त में बहुत बड़ी संख्या में हमारे सिन्धी भाई रहते थे. क्वेटा, डेरा बुगती, पंजगुर, कोहलू, लोरालई... यहां से तो कराची, हैदराबाद (सिंध) तक... इन सभी स्थानों पर हमारे सिन्धी भाई हजारों वर्षों से रहते आये थे. पश्चिम से आने वाले हर-एक आक्रांता की नजर सबसे पहले इन्ही पर पड़ती थी. लेकिन ये सब राजा दाहिर के वंशज थे. पराक्रमी थे. इतने आक्रमणों के बाद भी इन्होने अपना धर्म नहीं छोड़ा था, और न ही छोड़ी थी अपनी जमीन..!*

लेकिन दुर्भाग्य इस देश का... कांग्रेस वर्किंग कमिटी के विभाजन स्वीकार करने वाले निर्णय ने इन पुरुषार्थ के प्रतीकों को, अदम्य साहस दिखाने वाले वीरों को एवं प्रतिकूल परिस्थिति में भी टिके रहने की क्षमता रखने वाले इन योध्दाओं को, हजारों वर्षों की अपनी पुश्तैनी जमीन छोडनी पड़ी..!!          (क्रमशः)
- प्रशांत पोल

माननीय गगनेजा जी पर हमले से पंजाब आहत !

विगत 6 अगस्त सायं लगभग 8 बजे पंजाब प्रांत के जालंधर शहर के व्यस्ततम क्षेत्र ज्योति चौक पर अपनी पत्नी के साथ खरीददारी करने आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पंजाब के सह-संघचालक ब्रिगेडियर (से.नि.) जगदीश गगनेजा को दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी और फरार हो गए। आसपास के लोगों ने उन्हें उठाया और स्थानीय पटेल अस्पताल में तत्कालीन उपचार के लिए ले गए। अगले दिन उन्हें लुधियाना के दयानंद मेडिकल कालेज में ले जाया गया जहां पांच विशेष डाक्टरों की टीम के द्वारा उनका ईलाज चल रहा है।

इस लोमहर्षक घटना ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। जहां एक ओर माननीय गगनेजा जी संघ के प्रांतीय अधिकारी के नाते सर्वदूर प्रांत में परिचित हैं वहीं दूसरी ओर एक अनुशासित सैनिक अधिकारी के नाते भी उनका समाज में प्रतिष्ठिïत स्थान है। ब्रिगेडियर गगनेजा भारतीय सेना के ऐसे अधिकारी रहे हैं जिन्होंने देश की सीमा पर विभिन्न मोर्चों पर दुश्मन से लोहा खुद आगे बढ़ कर लिया और सेवानिवृति के बाद भी राष्ट्रहित और राष्ट्र सुरक्षा की दृष्टि से संघ में दायित्व प्राप्त किया। खुद से अधिक भारत के हर नागरिक की भावना, श्री गगनेजा की इस बात सेही महसूस की जा सकती है, उन्होंने प्रशासन द्वारा सुरक्षा कर्मी उपलब्ध करवाने की पेशकश को यह कह कर नहीं स्वीकारा कि उनसे अधिक सामान्य जन की सुरक्षा जरूरी है। वर्तमान में जब सरकारी अंगरक्षक सटेटस सिंबल होने का चलन समाज में बढ़ रहा हो, ऐसे में श्री गगनेजा की यह भूमिका उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित करने वाली है।
स्वभाविक है कि इस प्रकार के व्यक्तित्व का किसी से किसी प्रकार का कोई वैरभाव नहीं था। फिर भी यह घटना हुई।

समाचार पत्रों तथा सामान्यजनों की बातचीत में चार कारणों पर चर्चा हो रही है जिनके चलते यह घटना हुई हो सकती है।
पहला अकाली दल-भाजपा गठबंधन विपक्षी दलों के साथ-साथ कुछ अलगाववादी तत्वों की आंखों में खटक रहा है। उनका एकमात्र एजेंडा अगला चुनाव जीतना है। इसके लिए समाज को तोडऩे तथा आपस में लड़ाने का कार्य चल रहा है। ऐसा पहले भी होता रहा है, परंतु इस बार इसके लिए नए-नए किस्म के प्रयोग किए जा रहे लगते हैं।

दूसरा पिछले एक वर्ष से पंजाब में क्रमश: कई घटनाएं हुई हैं जैसे, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, अलगाववादी तत्वों के द्वारा सरबत खालसा का आयोजन, खन्ना तथा फगवाड़ा में हिंदू नेताओं की हत्या, मालेरकोटला में कुरान शरीफ की बेअदबी, नामधारी संप्रदाय के प्रमुख की माता चंद कौर की हत्या तथा उत्तïर भारत के प्रसिद्धï गौसेवक स्वामी कृष्णानंद जी की गुमशुदगी को लेकर प्रशासन की असफलता पर विपक्षी दलों द्वारा निरंतर प्रहार जारी हैं। चाहे प्रशासन द्वारा बेअदबी की घटनाओं के जिम्मेवारी लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है, कुरान की बेअदबी के लिए जिम्मेवार आम आदमी पार्टी के विधायक को भी गिरफ्तार किया गया। स्वयंभू सरबत खालसा की घटना के बाद प्रदेश भर में फैले तनाव को कम करने के लिए बहुत सारे लोगों की गिरफ्तारियां हुईं व सरकार ने चार सद्भावना रैलियां करके सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने का प्रयास किया है। उपरोक्त सभी घटनाओं में घटना की जांच तथा अपराधियों की गिरफ्तारी से पूर्व ही प्रदेश का वातावरण खराब करने के प्रयास हो चुके हैं।

तीसरा देश भर में राष्ट्रीय विचारों पर आधारित संगठन तथा उनके विचारों के लोगों द्वारा राजकीय क्षेत्र में भी मिल रही विजय का क्रम पंजाब में भी सुदूर देखने को मिल रहा है। स्थान-स्थान पर लोग राष्ट्रीय विचारों के साथ जुडऩे को उत्सुक हो रहे हैं। स्वभाविक ही है वर्षों से अलगाववाद की राजनीति कर रहे लोगों को इस राष्ट्रीय विचार की वृद्धिï भी हज्म नहीं हो रही है। वह उसे हर हाल में रोकना चाहते हैं। चाहे इसके लिए किसी की भी हत्या की जाए और समाज को आपस में लड़ाया जाए।

चौथा जैसा कि हम सब जानते हैं कि संघ के सामान्य स्वयंसेवक से लेकर अधिकारी तक व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं रखते। इसलिए देशविरोधियों द्वारा उन पर कहीं पर भी हमला करना आसान होता है। परंतु इस घटना में यह बात ध्यान में आती है कि गगनेजा जी को बड़ी आसानी से उनके निवास, कार्यालय या कहीं आते-जाते हुए रास्ते में भी उन पर हमला किया जा सकता था। लेकिन ऐसा न कर शहर के व्यस्ततम क्षेत्र में हमला कर हमलावरों ने प्रशासन को चुनौती दी तथा वे विरोधी पार्टियों  को मौका दिया कि उनके दिये बयान सिद्ध साबित हो कि पंजाब में प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है। इसके अलावा संघ के बड़े अधिकारी पर हमला कर हिंदू समाज को उत्तेजित कर सड़कों पर उतरने पर मजबूर करना भी उनकी एक साजिश का हिस्सा था।

प्रभु कृपा से उनका यह मंसूबा पूरा न हो सका। उसका कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यपद्धïत्तिï को साजिशकर्ता नहीं जानते हैं। 90 वर्षों के अपने जीवन काल में संघ समाज विरोधी शक्तियों से ही मुकाबला करता आ रहा है। पंजाब में चले आतंकवाद के दौरान मोगा, लुधियाना, बरनाला, डबवाली में भी शाखा में स्वयंसेवकों की नृशंस हत्या के बाद भी पूरे देश में संघ ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे हिंदू-सिख एकता पर प्रतिकूल असर पड़ता हो।

इस घटना में भी संघ ने अपने मूल चरित्र को ही प्रकट किया है। उसी का परिणाम है कि आज प्रशासन पूरी ताकत से हमलावरों को पकडऩे में जुटा हुआ है और निश्चित ही इसमें उसे सफलता मिलेगी ऐसा हमारा विश्वास है। पंजाब के कुशल डाक्टरों की एक टीम गगनेजा जी को स्वस्थ करने में पूरी तनमन्यता से जुटी हुई है। पंजाब भर में प्रत्येक नगर-कस्बे में सामान्य नागरिक उनके कुशलक्षेम के लिए हवन यज्ञ, हनुमान चालीसा तथा श्री सुखमनी साहिब के पाठ कर रहे हैं तथा पंजाब का पूरा मीडिया इस मामले में गंभीरता से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। समस्या के समाधान का यह तरीका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है, जिसके कारण आज पंजाब में भाईचारा बरकरार नजर आ रहा है तथा विरोधी शक्तियां पराजित दिखाई दे रही हैं।
रामगोपाल
प्रचार प्रमुख,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पंजाब।
मो. 099157-14305